सबका पालनहार
सप्ताह में सात दिन होते हैं और सबके साथ कोई कहानी जुड़ी हुई है। हरेक दिन की अनेक कहानियाँ हैं। आज रविवार की अनेकों कहानियों में से एक कहानी की बात करते हैं।एक सुखी, सम्पन्न राज्य का राजा बहुत धार्मिक, कर्मकाण्ड करने वाला और दयालु था। उसकी पत्नी रोज पूजा करने मंदिर जाती थी। एक दिन पूजा के बाद पंडित जी रानी के माथे पर "रोली" से तिलक किया, सिर पर अक्षत (चावल) छिड़के। रानी ने हाथ आगे किया तो पंडित जी ने उसमें चरणामृत (भगवान के समीप रखा जल) दिया, जिसको रानी ने पीकर हाथ को सिर पर फिरा लिया, हथेली पर बची पानी की बूंदे सिर पर लगा ली। रानी ने पूछा कि हमने भगवान को कभी देखा नहीं है तो उसकी पूजा क्यों करते हैं। पंडित जी ने बताया कि भगवान सबके भोजन की व्यवस्था करतें हैं। हमारा पालनपोषण करते हैं इसलिए उनका सम्मान करने का यह एक तरीका है। रानी को ये बात कुछ ठीक नहीं लगी। उसने देखा कि बराबर में मीठे प्रसाद पर चींटियाँ लगी हुई हैं। रानी ने एक चींटी को उठाया और अपने बालों के बीच मे जूड़े में उसे बन्द कर दिया। रात को सोते समय रानी ने मंदिर में हुई सारी बात राजा को बताई तभी उसे चींटी का ध्यान आया। रानी ने बालों का जूड़ा खोला तो चींटी बाहर निकली। रानी को बड़ा अचम्भा हुआ कि चींटी सुबह से बिना भोजन, पानी के भी ठीकठाक बाहर आ गई थी। तब राजा ने समझाया कि जो चावल पंडित जी ने तुम्हारे सिर पर छिड़कें थे। उसका एक दाना भी चींटी के भोजन के लिए बहुत था, और जो चरणामृत का हाथ सिर पर फिराया उस जल की बूंदें जो बालों पर लगी होंगी, तो वह चींटी के पूरे दिन के पानी की व्यवस्था थी। तब रानी को समझ में आया की भगवान ही पशु, पक्षी, पेड़, पौधे और मनुष्य आदि सभी का ध्यान रखते है।
यह बात सही है कि जो भगवान पेड़ों पर सो रहे पक्षियों को गिरने नहीं देते, उन्होंने सबकी कोई ना कोई व्यवस्था जरूर की है। किन्तु इसका अर्थ यह नही है कि हम हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाये कि भोजन तो मिल ही जायेगा।जैसा कि बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि इंसान भूखा जागता जरूर है पर सोता नहीं है। लेकिन आज के समय में यदि हम अपने जीवन को अच्छा बनाना चाहते हैं तो थोड़ी मेहनत अधिक करनी होगी क्योंकि केवल पेट भरने के लिए जीवन, मनुष्य का उद्देश्य नहीं है। हम पशु, पक्षियों से उन्नत हैं हमारे पास बुद्धि, विवेक, ज्ञान और समझदारी है। जिसके पास ये सब है वह थोड़ा थोड़ा प्रयत्न करके अपनी जीवनशैली को और अधिक अच्छा बना सकता है। थोड़ा समय जरूर लगता है लेकिन सयंम, लगन और शान्ति के साथ किसी भी साधारण परिस्थिति को अति उत्तम स्थिति में बदला जा सकता है।