Saturday, May 30, 2020

खुशी की परिभाषा

मॉल में बिक्री चल रही थी, तो रजनी ने रसोई घर के लिए नया डिनर सेट खरीद लिया। घर आकर, रजनी ने रसोईघर में से पुराने बर्तन निकालकर एक तरफ रख दिये, और नया डिनर सेट रैक में लगा दिये। उसे एक तृप्ति की भावना आने गई कि अलग-अलग मेल के बर्तनों से रसोई बहुत बेकार दिखाई देती थी। लेकिन अब डिनर सेट की जगमगाहट से रसोईघर पॉश दिखाई दे रहा था। कामवाली बाई कमला ने रसोईघर में नीचे रखा बर्तनों का ढेर देखा तो उसकी त्योरियाँ चढ़ गई कि, आज इतने सारे बर्तन माँजने होंगे। पर तभी रजनी बोली कि "ये बर्तन कबाड़ी वाले को देने हैं। कोई तुझे चाहिए तो ले जाना"। इतना सुनते ही कमला के चेहरे का भाव बदल गया। सारे स्टील के चमचमाते बर्तन हैं। कमला ने धीरे से पूछा कि सारे ले लू क्या। नया डिनर सेट इतना अच्छा लग रहा था की रजनी ने चहकते हुए कहा कि "हाँ सब ले जा"। कमला ने जल्दी से सब काम किया औऱ सारे बर्तन समेट कर अपने घर ले आई। उसके पास तो बहुत कम बर्तन थे, जो पुराने घिसे हुए थे। उन बर्तनों को हटा कर, लाये हुए बर्तन साफ करके करीने से लगा दिए और सोचने लगी कि सब बेकार के टूटे फूटे हैं कबाड़ी को दे दूँगी। रसोईघर को देखकर उसे बहुत तृप्ति की भावना आ रही थी। तभी दरवाजे पर एक भिखारी ने चाय के लिए गुहार लगाई। कमला चाय लेकर गई तो उसने देखा भिखारी के हाथ में एल्मुनियम का टूटा, चटका हुआ गन्दा सा डिब्बा है जो उसने चाय के लिए आगे कर दिया। कमला फटाफट अंदर गई और अपने बर्तनों में से एक बर्तन में चाय डालकर भिखारी को पीने के लिये दे दी। चाय पीने के बाद भिकारी ने बर्तन वापस लौटाया तो कमला बोली तुम इसे रख लो और अंदर से बाकी के चार बर्तन भी लाकर उसे दे दिए। भिखारी ने अपने झोले से दोनों बर्तनों को निकाल कर कूड़ेदान में डाल दिया औऱ खुशी से  गुनगुनाते हुए आगे बढ़ गया।

खुशी की परिभाषा सबके लिए अलग अलग हो सकती हैं।परंतु किसी की मदद करने से जो आत्मसंतोष का अनुभव होता है वह अनमोल है। रजनी बर्तन कबाड़ी को देकर कुछ रुपये ले सकती थी परन्तु उसने कमला को मुफ्त में बर्तन दे दिए औऱ कमला को बर्तन बिना रुपये खर्च किये मिले थे तो उसने भी अपने बर्तन भिखारी को दे दिए।

भिखारी ने अपने पुराने बर्तन कूड़ेदान में दाल दिए जहाँ से उन्हें कूड़ा उठाने वाले लोगों ने उठा लिया। यह एक  छोटा सा कदम आगे चलकर एक कड़ी (चेन) में बदल गया। हम किसी अच्छे काम के लिए एक छोटा सा कदम उठाते हैं तो वह अपने साथ बहुत कुछ अच्छाई लेकर आगे बढ़ता है। तो इस खुशी को महसूस करने के लिए प्रतिदिन एक अच्छा काम करने की आदत बनाये। वो अच्छा काम कुछ भी हो सकता है और यदि किसी की मदद करना अटपटा लगता है कोई हिचक महसूस होती है तो खुशी पाने के लिए अलग हट कर काम करें- जैसे सार्वजनिक पौधों को पानी देना, पक्षियों को दाना डालना, पशुओं को चारा खिलाना, मछलियों को आटे की गोलियाँ डालना।

खुश रहो, स्वस्थ रहो, व्यस्त रहो, मस्त रहो।

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