भय का भूत
ये एक कुम्हार के परिवार की कहानी है। परिवार का कोई भी एक सदस्य खदान से मिट्टी खोद कर लाता था, और फिर वो उन मिट्टी के बर्तनो को बाजार में बेचते थे। जहाँ से वो मिट्टी खोदते थे, वहां बहुत कीड़े मकोड़े भी थे। और कई बार मिट्टी निकालते समय कीड़े मकोड़े काट लेते थे। तो उन्हें डर भी नही लगता था, क्योंकि, शुरू से ही उन्हें इन सबकी आदत हो गई थी। एक दिन कुम्हार मिट्टी खोद कर लाया तो उसका हाथ मिट्टी में बने बिल में चला गया और बिल मे रहने वाले किसी कीड़े मकोड़े ने उसके हाथ में काट लिया। उसने अपने हाथ पर मिट्टी लगाकर पट्टी बाँध ली, और बर्तन बना कर बाजार में बेचने के लिए चला गया। अगले दिन उसकी पत्नी मिट्टी लेने मैदान में गई तो उसने देखा कि जहाँ पर कुम्हार के हाथ पर किसी कीड़े ने काटा था। वहाँ पर एक जहरीला बिच्छू मरा हुआ पड़ा था। किसान की पत्नी समझ गई कि इसी बिच्छू ने उसके पति को काटा है। वह घबराई हुई घर पहुँची और अपने पति का इंतजार करने लगी। रात को कुम्हार घर आया, पत्नी ने उसकी तबीयत पूछी। कुम्हार बोला हाथ में दर्द है, लेकिन वो सब काम कर रहा है। पत्नी ने खाना देते समय बताया कि, उसने मैदान में मरा हुआ जहरीला बिच्छू देखा, जिसके डंक से इंसान कुछ ही घन्टे में मर जाता है। कुम्हार को तो कुछ भी नहीं हुआ था। पत्नी की बात सुनकर कुम्हार ने खाना खाने के बाद हाथ की पट्टी को खोलकर देखा तो वास्तव में जहरीले बिच्छू के काटने का निशान था। अब तो कुम्हार की हालत खराब हो गई। उसके मुँह से झाग निकलने लगा और वह जमीन पर गिर गया।इसका अंत क्या हुआ ये महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण ये है कि जब तक कुम्हार को सच्चाई पता नहीं थी, वह सारा काम कर रहा था। पर जैसे ही उसे विष का पता लगा, उसकी हालत खराब हो गई। अनदेखी परेशानी हमारे मन मे डर के भूत को बैठा देती है, औऱ हम काम करने से पहले ही डर के कारन हार जाते हैं। अगर पहले से ही मालूम हो जाए की काम कठिन है, तो हम घबरा जाते हैं। पर कितना भी मुश्किल काम हो, जब तक हमें पता नहीं होता, तब तक हम उस काम को करने की पूरी कोशिश करते है। तनाव, घबराहट और व्याकुलता से बचने के लिए हरेक काम को आसान समझ कर करना चाहिए। बीमारी कितनी भी बड़ी हो डॉक्टर हमेशा कहते हैं कि, ठीक हो जाओगे। बस यही विश्वास और सकारात्मकता हमेशा अपने साथ रखें तो मुसीबत, बीमारी, परेशानी औऱ मुश्किल हालात हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
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