लोग कहते हैं कि पैसा ही पैसे को खींचता है, इसीलिए अमीर और अमीर हो जाता है और गरीब और गरीब हो जाता है। ये एक कहावत है जिसका अर्थ यह है कि जिस के पास पैसा होता है वह उस पैसे का प्रयोग करके आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर सकता है और ज्यादा पैसा बना सकता है। ये जो प्रक्रिया शुरू होती है वही ज्यादा पैसा बनाने में मदद करती है परन्तु धनवान वही हो सकता है जो बुद्धि का इस्तेमाल करता है।
इसी संदर्भ में एक पुरानी कहानी याद आ गई।एक व्यापारी था। जब व्यापारी ने थोड़ा बहुत धन कमा लिया तो उसने काम में मदद के लिए एक कर्मचारी रख लिया जो उसके घर पर ही रहने लगा और घर का काम भी करने लगा। कुछ ही समय में व्यापारी ने काफी उन्नति कर ली, उसकी गिनती धनवान लोगो मे होने लगी। एक दिन सेवक के मन मे आया कि मेंरा सेठ तो थोड़े समय में ही इतना पैसे वाला हो गया है और मैं वहीँ का वहीँ कर्मचारी ही रह गया। कई दिन तक सोचने के बाद एक दिन उसने व्यापारी से उसकी अमीरी का राज पूछ ही लिया। व्यापारी ने बताया कि बुद्धि का प्रयोग करके कोई भी थोड़े से धन को बढ़ा सकता है क्योंकि धन में चुम्बकीय ताकत होती है इसलिए पैसा ही पैसे को खींचता है। सेवक ने सारी बात सुनकर अमीर बनने की ठान ली।
वह रोज देखता था कि व्यापारी रोज ग्राहकों से मिली रकम को सोने के सिक्कों में बदलकर अपने कमरे की एक अलमारी में रखकर कमरे को ताला लगा दिया करता था। सेवक ने अपनी पगार को इक्कट्ठा करके बदले में एक सोने का सिक्का ले लिया और एक दिन वह सब काम समाप्त करके रात को सोने का सिक्का हाथ मे लेकर क़मरे के बाहर बैठ गया। वह मन ही मन सोच रहा था कि इस सिक्के के असर से अलमारी में से सब सिक्के लाइन लगाकर दरवाजे की दरार के नीचे से बाहर आ जाएंगे और वो उन्हें इक्कट्ठा करकें अमीर बन जायेगा। इसी भावना से उसने अपने हाथ मे पकड़े सिक्के को दरार के नीचे लगा दिया। काफी देर तक कुछ नहीं हुआ।
उसका हाथ भी दर्द करने लगा वो थकने भी लगा और ऐसे में उसे हल्का सा नींद का झोंका आया, ध्यान चूका और हाथ से सिक्का छूट कर दरार के नीचे से कमरे के अंदर चला गया। अब सेवक की हालत खराब हो गई एकलौता सिक्का था वो भी चला गया।वो बहुत गुस्से में अपने मालिक के पास गया, उसे सारी बात बताई और बोला कि ये झूठी बात है कि पैसा ही पैसे को खीचता है वो सारी रात बैठा रहा पर उसका पैसा कुछ भी नहीं खींच सका। अब मालिक के हँसने की बारी थी। उसने कहा कि मेरा पैसा ज्यादा था जबकि तुम्हारा सिक्का अकेला था इसलिए मेरे सिक्कों ने तुम्हारे सिक्के को अपने पास खींच लिया। समझदारीपूर्ण तरीके के द्वारा ही पैसा बनाया जा सकता है मूर्खतापूर्ण तरीके से नहीं। मूर्खतापूर्ण काम का नतीजा ये हुआ कि उसका इकलौता सिक्का भी हाथ से चला गया।इसको आज के समय में रखकर हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। आज के समय में सबसे बड़ा सोने का सिक्का हमारी बुद्धि का सही प्रयोग करना है। दरअसल हमारे साथ भी अक्सर ऐसा होता है कि अगर किसी एक व्यक्ति को किसी काम से फायदा हो गया तो हम भी फ़ायदे के लिए बिना सोचे समझे उसकी नकल करते है तब ज़रूरी नहीं होता वही काम हमें भी उतना ही फायदा देगा जितना एक व्यक्ति को दिया है। इसकी वजह यह है कि एक व्यक्ति के काम करने की लगन, काम करने का समय, और काम करने का तरीका अलग हो सकता है उसका अपने काम को पेश करने का अंदाज भिन्न हो सकता है और यही सब चीजें उस के लाभ, फायदे, और मुनाफ़े को कम या ज्यादा कर देती हैं। दफ्तर में सहयोगियों के बीच में भी यही होता है और हम यह कह देते हैं कि दूसरे को तरक्की मिल गई और उसकी तनख्वाह भी बढ़ गई जबकि मेरी तरक्की होनी थी यानि तनख्वाह मेरी बढ़नी थी। अब व्यवसाय करने वाले लोग अन्य व्यवसायियो को देखकर सोचते है कि हम एक ही चीज बेचते हैं लेकिन दूसरे अधिक मात्रा में मुनाफा कमा रहे हैं। तब हमें सोचना चाहिए कि आमदनी बढ़ाने के लिये सामने वाला अपने अपने काम मे कोई नई तकनीक इस्तेमाल कर रहा होगा।
अब हमें क्या करना चाहिए यह ठीक से समझ में आ जाए इसके लिए
1 . हरेक काम निर्धारित समय सीमा के अंदर ही समाप्त करना चाहिए।
2.किसी की नकल करने के स्थान पर अपने विचारो को प्रयोग करके काम करने से काम में नवीनता आएगी जो सबको प्रभावित करेगी।
3.अपने काम को स्पष्ट, साफ सुथरा, पारदर्शी और प्रभावशाली तरीके से करने की कोशिश करें।
4.अपने काम या व्यापार में अपनी एक विशेष छाप छोड़ने की कोशिश करें फिर चाहे वह पुरातनवादी हो,आधुनिक हो,वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो या कलात्मक अभिरुचि का प्रदर्शन हो। ताकि आपके काम या व्यवसाय को एक नई पहचान मिले।
सच बात है कि मेहनत, लग्न,जोश,ईमानदारी, सच्चाई, औऱ बुद्धिमानी के बल पर आमदनी को बढ़ाया जा सकता है।इसी उम्मीद के साथ
इसी संदर्भ में एक पुरानी कहानी याद आ गई।एक व्यापारी था। जब व्यापारी ने थोड़ा बहुत धन कमा लिया तो उसने काम में मदद के लिए एक कर्मचारी रख लिया जो उसके घर पर ही रहने लगा और घर का काम भी करने लगा। कुछ ही समय में व्यापारी ने काफी उन्नति कर ली, उसकी गिनती धनवान लोगो मे होने लगी। एक दिन सेवक के मन मे आया कि मेंरा सेठ तो थोड़े समय में ही इतना पैसे वाला हो गया है और मैं वहीँ का वहीँ कर्मचारी ही रह गया। कई दिन तक सोचने के बाद एक दिन उसने व्यापारी से उसकी अमीरी का राज पूछ ही लिया। व्यापारी ने बताया कि बुद्धि का प्रयोग करके कोई भी थोड़े से धन को बढ़ा सकता है क्योंकि धन में चुम्बकीय ताकत होती है इसलिए पैसा ही पैसे को खींचता है। सेवक ने सारी बात सुनकर अमीर बनने की ठान ली।
वह रोज देखता था कि व्यापारी रोज ग्राहकों से मिली रकम को सोने के सिक्कों में बदलकर अपने कमरे की एक अलमारी में रखकर कमरे को ताला लगा दिया करता था। सेवक ने अपनी पगार को इक्कट्ठा करके बदले में एक सोने का सिक्का ले लिया और एक दिन वह सब काम समाप्त करके रात को सोने का सिक्का हाथ मे लेकर क़मरे के बाहर बैठ गया। वह मन ही मन सोच रहा था कि इस सिक्के के असर से अलमारी में से सब सिक्के लाइन लगाकर दरवाजे की दरार के नीचे से बाहर आ जाएंगे और वो उन्हें इक्कट्ठा करकें अमीर बन जायेगा। इसी भावना से उसने अपने हाथ मे पकड़े सिक्के को दरार के नीचे लगा दिया। काफी देर तक कुछ नहीं हुआ।
उसका हाथ भी दर्द करने लगा वो थकने भी लगा और ऐसे में उसे हल्का सा नींद का झोंका आया, ध्यान चूका और हाथ से सिक्का छूट कर दरार के नीचे से कमरे के अंदर चला गया। अब सेवक की हालत खराब हो गई एकलौता सिक्का था वो भी चला गया।वो बहुत गुस्से में अपने मालिक के पास गया, उसे सारी बात बताई और बोला कि ये झूठी बात है कि पैसा ही पैसे को खीचता है वो सारी रात बैठा रहा पर उसका पैसा कुछ भी नहीं खींच सका। अब मालिक के हँसने की बारी थी। उसने कहा कि मेरा पैसा ज्यादा था जबकि तुम्हारा सिक्का अकेला था इसलिए मेरे सिक्कों ने तुम्हारे सिक्के को अपने पास खींच लिया। समझदारीपूर्ण तरीके के द्वारा ही पैसा बनाया जा सकता है मूर्खतापूर्ण तरीके से नहीं। मूर्खतापूर्ण काम का नतीजा ये हुआ कि उसका इकलौता सिक्का भी हाथ से चला गया।इसको आज के समय में रखकर हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। आज के समय में सबसे बड़ा सोने का सिक्का हमारी बुद्धि का सही प्रयोग करना है। दरअसल हमारे साथ भी अक्सर ऐसा होता है कि अगर किसी एक व्यक्ति को किसी काम से फायदा हो गया तो हम भी फ़ायदे के लिए बिना सोचे समझे उसकी नकल करते है तब ज़रूरी नहीं होता वही काम हमें भी उतना ही फायदा देगा जितना एक व्यक्ति को दिया है। इसकी वजह यह है कि एक व्यक्ति के काम करने की लगन, काम करने का समय, और काम करने का तरीका अलग हो सकता है उसका अपने काम को पेश करने का अंदाज भिन्न हो सकता है और यही सब चीजें उस के लाभ, फायदे, और मुनाफ़े को कम या ज्यादा कर देती हैं। दफ्तर में सहयोगियों के बीच में भी यही होता है और हम यह कह देते हैं कि दूसरे को तरक्की मिल गई और उसकी तनख्वाह भी बढ़ गई जबकि मेरी तरक्की होनी थी यानि तनख्वाह मेरी बढ़नी थी। अब व्यवसाय करने वाले लोग अन्य व्यवसायियो को देखकर सोचते है कि हम एक ही चीज बेचते हैं लेकिन दूसरे अधिक मात्रा में मुनाफा कमा रहे हैं। तब हमें सोचना चाहिए कि आमदनी बढ़ाने के लिये सामने वाला अपने अपने काम मे कोई नई तकनीक इस्तेमाल कर रहा होगा।
अब हमें क्या करना चाहिए यह ठीक से समझ में आ जाए इसके लिए
1 . हरेक काम निर्धारित समय सीमा के अंदर ही समाप्त करना चाहिए।
2.किसी की नकल करने के स्थान पर अपने विचारो को प्रयोग करके काम करने से काम में नवीनता आएगी जो सबको प्रभावित करेगी।
3.अपने काम को स्पष्ट, साफ सुथरा, पारदर्शी और प्रभावशाली तरीके से करने की कोशिश करें।
4.अपने काम या व्यापार में अपनी एक विशेष छाप छोड़ने की कोशिश करें फिर चाहे वह पुरातनवादी हो,आधुनिक हो,वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो या कलात्मक अभिरुचि का प्रदर्शन हो। ताकि आपके काम या व्यवसाय को एक नई पहचान मिले।
सच बात है कि मेहनत, लग्न,जोश,ईमानदारी, सच्चाई, औऱ बुद्धिमानी के बल पर आमदनी को बढ़ाया जा सकता है।इसी उम्मीद के साथ
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