ईमानदारी
आजकल, चारों तरफ बेईमानी, चोरी ,धोखाधड़ी के बारे में बात होती हैं। रोज की जिंदगी में कभी-कभी हमारे साथ भी, कुछ ऐसी ही बात हो जाती है, जो कभी हमे गुस्सा दिला देती है तो, कभी, परेशान कर देती हैं।○ एक भिखारी को एक रूपयों से भरी थैली मिली। उसने थैली उठाई ,रुपये निकाल कर गिने, पूरे 200 रुपये थे। तभी वहाँ एक सेठ आयाे। सेठ बहुत घबराया हुआ थाे। उसकी रुपयों से भरी थैली रास्ते में कहीं गिर गई हैे। सेठ ने भिखारी से कहा कि वह थैली ढूढ़ने वाले को कुछ रुपये इनाम में भी देगा। भिखारी ने थैली निकाल कर सेठ को दे दी और बदले में सेठ से इनाम के रुपये मांगे।अब सेठ की नीयत बदल गई। उसने रुपये गिने और बोला इसमें रुपये कम है। इसमें 300 रुपये थे। तुमने पहले ही रुपये निकाल लिये है। बात इतनी अधिक बढ़ गई कि, उन्हें राजा के पास जाना पड़ा। राजा ने सारी बात बहुत ध्यान से सुनी, और वो समझ गया कि, सेठ के मन मे बेईमानी, चालाकी और धोखाधड़ी आ गई है। राजा ने कहा कि सेठ की थैली में ज्यादा रुपये थे। इसका मतलब ये थैली इस सेठ की नही है। इस थैली का कोई मालिक नही है, और इतना कहकर राजा ने वो थैली भिखारी को दे दी।
○ हम सब के साथ, कई बार, बेईमानी हुई है।
1.परीक्षा के समय, मैंने जल्दी प्रश्नपत्र हल कर लिया। औऱ मेरे बाहर आने के बाद, मेरे पीछे वाले छात्र ने रो धोकर निरीक्षक से मेरी उत्तरपुस्तिका मांग ली और आराम से सब उत्तर की नकल कर ली।
2.बाजार में, दुकानदार "सामान" तौल कर, थैले में पलटते समय, थोडा समान, तराजू के नीचे लट के अपने थैले में गिरा लेते है।
3.सामान लेते समय जितना समय पर्स से रुपये निकलने में लगता है उतनी देर में थैली बदल कर सड़े हुए सामान को रख देते है।
4.वजन के बट्टे को घिसकर हल्का करना,
5.दफ्तर में हमारे द्वारा किए गये काम का श्रेय कोई और ले लेता है।
6.तरक्की की लाइन में नम्बर हमारा होता है और दूसरे सहयोगी साम, दाम, दंड, भेद लगाकर उसे ले लेते है
बेईमानी हर जगह है पर अभी बात अपनी कर रहे हैं जब भी ऐसा कुछ होता है बहुत गुस्सा आता है जो अपने शरीर और दिमाग के लिए बहुत खराब होता हैऔर उसके कारण ,स्वभाव में नकरात्मकता आ जाती है। पहले अपने विचारों को शान्त करे और जिस ने बेईमानी की है उसे बताये की उसकी चालाकी के बारे में आपको पता है। यदि ठंडे स्वभाव के साथ बात कर सकते हैं तो ही बात करे वरना उसे कुछ समय के लिए टाल दें।बात यदि काम से सम्बंधित है तो सोचे कि कहीं बात बिगड़ कर काम पर असर कर सकती हैं तो उसे न करें।
मन को बहुत शान्त रखें। जिन बातों को बदल नही सकते उन पर अफ़सोस करने की बजाए सोचे कि आप और अधिक पाने के अधिकारी है यह कम था इसलिए दूसरे को मिल गया।आप ज्यादा पाने के लिये नए सिरे कमर कस कर तैयार हो जाए क्योंकि अब आपको ज्यादा ही मिलेगा। इन्हीं सकारात्मक विचारों को अपनी ताकत बना कर बुराई का मुकाबला अच्छाई से करे।
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